प्रेरणार्थक क्रिया
जिन क्रियाओ से इस बात का बोध हो कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, वे प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है।
जैसे-
उठना से उठाना - उठवाना,
देना से दिलाना - दिलवाना ।
उदाहरण
माॅं बेटी से चाय बनवाती हैं।
मालिक नौकर से मकान धुलवाता है।
प्रेरणार्थक क्रिया में दो कर्ता होते हैं :
(1) प्रेरक कर्ता-प्रेरणा देने वाला; जैसे- मां, मालिक, अध्यापिका आदि।
(2) प्रेरित कर्ता-प्रेरित होने वाला अर्थात जिसे प्रेरणा दी जा रही है; जैसे- बेटी,नौकर, छात्र आदि।
प्रेरणार्थक क्रिया के रूप
प्रेरणार्थक क्रिया के दो रूप हैं :
(1) प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया - प्रेरणा प्रदान करने वाला कर्ता
(2) द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया - प्रेरणा लेने वाला कर्ता
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(1) प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया
मॉं परिवार के लिए भोजन बनाती है ।
(2) द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया
मॉं बेटी से भोजन बनवाती है ।
प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक-दोनों में क्रियाएँ एक ही हो रही हैं, परन्तु उनको करने और करवाने वाले कर्ता अलग-अलग हैं।
प्रथम में 'ना' का और द्वितीय में 'वाना' का प्रयोग होता है- हँसाना- हँसवाना।
उदाहरण
मूल क्रिया प्रथम प्रेरणार्थक द्वितीय प्रेरणार्थक
रोना रूलाना रूलवाना
खाना खिलाना खिलवाना
देखना दिखाना दिखवाना
घूमना घुमाना घुमवाना
पढ़ना पढ़ाना पढ़वाना
जीना जिलाना जिलवाना