Saturday, March 20, 2021

प्रेरणार्थक क्रिया

 

 प्रेरणार्थक क्रिया 

जिन क्रियाओ से इस बात का बोध हो कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, वे प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है। 

जैसे-  

उठना से उठाना - उठवाना, 

देना से दिलाना - दिलवाना ।

उदाहरण

माॅं बेटी से चाय बनवाती हैं।

मालिक नौकर से मकान धुलवाता है।

प्रेरणार्थक क्रिया में दो कर्ता होते हैं :

(1) प्रेरक कर्ता-प्रेरणा देने वाला; जैसे- मां, मालिक, अध्यापिका आदि। 

(2) प्रेरित कर्ता-प्रेरित होने वाला अर्थात जिसे प्रेरणा दी जा रही है; जैसे- बेटी,नौकर, छात्र आदि।

प्रेरणार्थक क्रिया के रूप

प्रेरणार्थक क्रिया के दो रूप हैं :

(1) प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया  - प्रेरणा प्रदान करने वाला कर्ता

(2) द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया - प्रेरणा लेने वाला कर्ता

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(1) प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया

मॉं परिवार के लिए भोजन बनाती है ।




(2) द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया

मॉं बेटी से भोजन बनवाती है ।


प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक-दोनों में क्रियाएँ एक ही हो रही हैं, परन्तु उनको करने और करवाने वाले कर्ता अलग-अलग हैं।



 प्रथम में 'ना' का और द्वितीय में 'वाना' का प्रयोग होता है- हँसाना- हँसवाना।


उदाहरण

मूल क्रिया   प्रथम प्रेरणार्थक   द्वितीय प्रेरणार्थक 


 रोना               रूलाना                रूलवाना

 खाना             खिलाना                खिलवाना

देखना             दिखाना                दिखवाना

घूमना    ‌‌          घुमाना                 घुमवाना

पढ़ना               पढ़ाना                 पढ़वाना

जीना                जिलाना                जिलवाना