Saturday, March 20, 2021

संधि

 संधि 


संधि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है 'मेल'। 

दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है।

जैसे - 
विद्या  +धन  = विद्याधन  - स्वर संधि

सत्  +  जन  = सज्जन  -  व्यंजन संधि

नि :  +  ताप  = निस्ताप  - विसर्ग संधि




संधि के भेद

हिंदी व्याकरण में संधि मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं- 

  1. स्वर संधि
  2. व्यंजन संधि
  3. विसर्ग संधि


1. स्वर संधि


✓ आपस में दो‌ स्वर मिलकर जब नया स्वर बनता है, तो उसे स्वर संधि कहते हैं।

स्वर  +  स्वर  =  नया स्वर   -  स्वर संधि


'अ ' और  'आ ' की संधि

✓ अ  +  अ  = आ
✓ अ  +  आ  = आ
✓आ  + अ = आ
✓आ  +  आ  = आ

'इ ' और  'ई ' की संधि

✓ इ   +  इ  =  ई
✓ इ   +  ई  = ई
✓ ई   +  इ  = ई
✓ ई   +  ई  = ई

'उ ' और  'ऊ ' की संधि

✓ उ + उ = ऊ
✓उ + ऊ = ऊ
✓ऊ + उ = ऊ
✓ऊ + ऊ = ऊ

'अ ' / ' आ ' और  'इ ' / ' ई ' की संधि

अ + इ = ए
अ + ई = ए 
आ + इ = ए 
आ + ई = ए 

'अ ' / ' आ ' और 'ए ' / ' ऐ ' की संधि

अ + ए = ऐ
अ + ऐ = ऐ 
आ + ए = ऐ 
आ + ऐ = ऐ 

'अ ' / ' आ ' और 'उ ' / ' ऊ ' की संधि

अ + उ = ओ 
आ + उ  = ओ
अ + ऊ = ओ 
आ + ऊ = ओ 

स्वर संधि के उदहारण

विद्या+आलय = विद्यालय (आ+आ = आ )

मुनि+इन्द्र = मुनीन्द्र (इ+इ = ई)

श्री+ईश = श्रीश ( ई+ई+ = ई)

गुरु+उपदेश = गुरुपदेश (उ+उ = ऊ)

धर्म + अर्थ = धर्मार्थ

पुस्तक + आलय = पुस्तकालय

विद्या + अर्थी = विद्यार्थी

रवि + इंद्र = रविन्द्र

गिरी +ईश = गिरीश

मुनि + ईश =मुनीश

मुनि +इंद्र = मुनींद्र

भानु + उदय = भानूदय

वधू + ऊर्जा = वधूर्जा

विधु + उदय = विधूदय

भू + उर्जित = भुर्जित।

नर + इंद्र + नरेंद्र

सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र

ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश

भारत + इंदु = भारतेन्दु

देव + ऋषि = देवर्षि

सर्व + ईक्षण = सर्वेक्षण

मत + एकता = मतैकता

एक + एक =एकैक

धन + एषणा = धनैषणा

सदा + एव = सदैव

महा + ओज = महौज

इति + आदि = इत्यादि

परी + आवरण = पर्यावरण

अनु + अय = अन्वय

सु + आगत = स्वागत

अभी + आगत = अभ्यागत

ने + अन = नयन

नौ + इक = नाविक

भो + अन = भवन

पो + इत्र = पवित्र



2. व्यंजन संधि


जब व्यंजन को व्यंजन या स्वर के साथ मिलाने से जो परिवर्तन होता है , उसे व्यंजन संधि कहते हैं।

व्यंजन संधि के उदाहरण

जगत्+नाथ = जगन्नाथ त्+न = न्न

सत्+जन = सज्जन त्+ज = ज्ज

उत्+हार = उद्धार त्+ह =द्ध

सत्+धर्म = सद्धर्म त्+ध =द्ध

आ+छादन = आच्छादन आ+छा = च्छा

दिक् + अम्बर = दिगम्बर

दिक् + गज = दिग्गज

वाक् +ईश = वागीश

अच् +अन्त = अजन्त

अच् + आदि =अजादी

षट् + आनन = षडानन

षट् + यन्त्र = षड्यन्त्र

षड्दर्शन = षट् + दर्शन

षड्विकार = षट् + विकार

षडंग = षट् + अंग

तत् + उपरान्त = तदुपरान्त

सदाशय = सत् + आशय

तदनन्तर = तत् + अनन्तर

उद्घाटन = उत् + घाटन

जगदम्बा = जगत् + अम्बा

अप् + द = अब्द

अब्ज = अप् + ज

वाक् + मय = वाङ्मय

दिङ्मण्डल = दिक् + मण्डल

प्राङ्मुख = प्राक् + मुख

ट् के ण् में बदलने के उदहारण :

षट् + मास = षण्मास

षट् + मूर्ति = षण्मूर्ति

षण्मुख = षट् + मुख

उत् + नति = उन्नति

जगत् + नाथ = जगन्नाथ

उत् + मूलन = उन्मूलन

अप् + मय = अम्मय

सम् + कल्प = संकल्प/सटड्ढन्ल्प

सम् + ख्या = संख्या

सम् + गम = संगम

शंकर = शम् + कर

सम् + चय = संचय

किम् + चित् = किंचित

सम् + जीवन = संजीवन

दम् + ड = दण्ड/दंड

खम् + ड = खण्ड/खंड

सम् + तोष = सन्तोष/संतोष

किम् + नर = किन्नर

सम् + देह = सन्देह

सम् + पूर्ण = सम्पूर्ण/संपूर्ण

सम् + भव = सम्भव/संभव

सत् + भावना = सद्भावना

जगत् + ईश =जगदीश

भगवत् + भक्ति = भगवद्भक्ति

तत् + रूप = तद्रूपत

सत् + धर्म = सद्धर्म

सम् + रचना = संरचना

सम् + लग्न = संलग्न

सम् + वत् = संवत्

सम् + शय = संशय

उत् + चारण = उच्चारण

सत् + जन = सज्जन

उत् + झटिका = उज्झटिका

तत् + टीका =तट्टीका

उत् + डयन = उड्डयन

उत् +लास = उल्लास

उत् + चारण = उच्चारण

शरत् + चन्द्र = शरच्चन्द्र

उत् + छिन्न = उच्छिन्न

त् + श् के उदहारण :

उत् + श्वास = उच्छ्वास

उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट

सत् + शास्त्र = सच्छास्त्र

सत् + जन = सज्जन

जगत् + जीवन = जगज्जीवन

वृहत् + झंकार = वृहज्झंकार

त् + ह के उदहारण :

उत् + हार = उद्धार

उत् + हरण = उद्धरण

तत् + हित = तद्धित

तत् + टीका = तट्टीका

वृहत् + टीका = वृहट्टीका

भवत् + डमरू = भवड्डमरु

स्व + छंद = स्वच्छंद

आ + छादन =आच्छादन

संधि + छेद = संधिच्छेद

अनु + छेद =अनुच्छेद

उत् + लास = उल्लास

तत् + लीन = तल्लीन

विद्युत् + लेखा = विद्युल्लेखा

किम् + चित = किंचित

किम् + कर = किंकर

सम् +कल्प = संकल्प

सम् + चय = संचयम

सम +तोष = संतोष

सम् + बंध = संबंध

सम् + पूर्ण = संपूर्ण

उत् + हार = उद्धार/उद्धार

उत् + हृत = उद्धृत/उद्धृत

पद् + हति = पद्धति

सम् + मति = सम्मति

सम् + मान = सम्मान

उत् + श्वास = उच्छ्वास

उत् + शृंखल = उच्छृंखल

शरत् + शशि = शरच्छशि

सम् + योग = संयोग

सम् + रक्षण = संरक्षण

सम् + विधान = संविधान

सम् + शय =संशय

सम् + लग्न = संलग्न

सम् + सार = संसार

आ + छादन = आच्छादन

अनु + छेद = अनुच्छेद

शाला + छादन = शालाच्छादन

स्व + छन्द = स्वच्छन्द

परि + नाम = परिणाम

प्र + मान = प्रमाण

वि + सम = विषम

अभि + सिक्त = अभिषिक्त

अनु + संग = अनुषंग

अभि + सेक = अभिषेक

नि + सिद्ध = निषिद्ध

वि + सम + विषम

राम + अयन = रामायण

परि + नाम = परिणाम

नार + अयन = नारायण

संसद् + सदस्य = संसत्सदस्य

तद् + पर = तत्पर

सद् + कार = सत्कार



3. विसर्ग संधि


विसर्ग के बाद जब स्वर या व्यंजन आ जाये तब जो परिवर्तन होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

विसर्ग संधि के उदहारण

मन: + अनुकूल = मनोनुकूल

नि:+अक्षर = निरक्षर

नि: + पाप =निष्पाप

मनः + अनुकूल = मनोनुकूल 

अधः + गति = अधोगति 

मनः + बल = मनोबल

निः + चय = निश्चय

दुः + चरित्र = दुश्चरित्र

ज्योतिः + चक्र = ज्योतिश्चक्र

निः + छल = निश्छल

तपश्चर्या = तपः + चर्या

अन्तश्चेतना = अन्तः + चेतना

हरिश्चन्द्र = हरिः + चन्द्र

अन्तश्चक्षु = अन्तः + चक्षु

दुः + शासन = दुश्शासन

यशः + शरीर = यशश्शरीर

निः + शुल्क = निश्शुल्क

निः + आहार = निराहार

निः + आशा = निराशा

निः + धन = निर्धन

निश्श्वास = निः + श्वास

चतुश्श्लोकी = चतुः + श्लोकी

निश्शंक = निः + शंक

धनुः + टंकार = धनुष्टंकार

चतुः + टीका = चतुष्टीका

चतुः + षष्टि = चतुष्षष्टि

निः + चल = निश्चल

निः + छल = निश्छल

दुः + शासन = दुश्शासन

निः + कलंक = निष्कलंक

दुः + कर = दुष्कर

आविः + कार = आविष्कार

चतुः + पथ = चतुष्पथ

निः + फल = निष्फल

निष्काम = निः + काम

निष्प्रयोजन = निः + प्रयोजन

बहिष्कार = बहिः + कार

निष्कपट = निः + कपट

नमः + ते = नमस्ते

निः + संतान = निस्संतान

दुः + साहस = दुस्साहस

अधः + पतन = अध: पतन

प्रातः + काल = प्रात: काल

अन्त: + पुर = अन्त: पुर

वय: क्रम = वय: क्रम

रज: कण = रज: + कण

तप: पूत = तप: + पूत

पय: पान = पय: + पान

अन्त: करण = अन्त: + करण

भा: + कर = भास्कर

नम: + कार = नमस्कार

पुर: + कार = पुरस्कार

श्रेय: + कर = श्रेयस्कर

बृह: + पति = बृहस्पति

पुर: + कृत = पुरस्कृत

तिर: + कार = तिरस्कार

निः + कलंक = निष्कलंक

चतुः + पाद = चतुष्पाद

निः + फल = निष्फल

अन्त: + तल = अन्तस्तल

नि: + ताप = निस्ताप

दु: + तर = दुस्तर

नि: + तारण = निस्तारण

निस्तेज = निः + तेज

नमस्ते = नम: + ते

मनस्ताप = मन: + ताप

बहिस्थल = बहि: + थल

निः + रोग = निरोग 

निः + रस = नीरस

नि: + सन्देह = निस्सन्देह

दु: + साहस = दुस्साहस

नि: + स्वार्थ = निस्स्वार्थ

दु: + स्वप्न = दुस्स्वप्न

निस्संतान = नि: + संतान

दुस्साध्य = दु: + साध्य

मनस्संताप = मन: + संताप

पुनस्स्मरण = पुन: + स्मरण

अंतः + करण = अंतःकरण

नि: + रस = नीरस

नि: + रव = नीरव

नि: + रोग = नीरोग

दु: + राज = दूराज

नीरज = नि: + रज

नीरन्द्र = नि: + रन्द्र

चक्षूरोग = चक्षु: + रोग

दूरम्य = दु: + रम्य

अत: + एव = अतएव

मन: + उच्छेद = मनउच्छेद

पय: + आदि = पयआदि

तत: + एव = ततएव

मन: + अभिलाषा = मनोभिलाषा

सर: + ज = सरोज

वय: + वृद्ध = वयोवृद्ध

यश: + धरा = यशोधरा

मन: + योग = मनोयोग

अध: + भाग = अधोभाग

तप: + बल = तपोबल

मन: + रंजन = मनोरंजन

मनोनुकूल = मन: + अनुकूल

मनोहर = मन: + हर

तपोभूमि = तप: + भूमि

पुरोहित = पुर: + हित

यशोदा = यश: + दा

अधोवस्त्र = अध: + वस्त्र

पुन: + अवलोकन = पुनरवलोकन

पुन: + ईक्षण = पुनरीक्षण

पुन: + उद्धार = पुनरुद्धार

पुन: + निर्माण = पुनर्निर्माण

अन्त: + द्वन्द्व = अन्तद्र्वन्द्व

अन्त: + देशीय = अन्तर्देशीय

अन्त: + यामी = अन्तर्यामी