कहानी लेखन
कहानी लेखन
कहानी लिखते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें-
- कहानी का आरम्भ आकर्षक ढंग से हो।
- दी गई रूपरेखा अथवा मुद्दे के आधार पर ही कहानी लिखनी चाहिए।
- कहानी में विभिन्न घटनाओं और प्रसंगों को संतुलित विस्तार दें। किसी प्रसंग को न अत्यंत संक्षिप्त लिखें, न अनावश्यक रूप से विस्तृत।
- कहानी का आरम्भ आकर्षक होना चाहिए ताकि पाठक का मन उसे पढ़ने में रम जाए।
- कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा प्रवाहमयी होनी चाहिए। उसमें क्लिष्ट शब्द तथा लम्बे वाक्य न हों।
- कहानी को उपयुक्त एवं आकर्षक शीर्षक दें।
- कहानी का अंत सहज ढंग से होना चाहिए।
- अंत में, कहानी को उचित शीर्षक दे।
कहानी के प्रकार
- असंबंध्द शब्दों के आधार पर
- अधूरी या अपूर्ण कहानी को पूर्ण करना,
- चित्रों की सहायता से कहानी का अभ्यास करना।
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रुपरेखा के आधार पर लघु कहानियों के कुछ उदाहरण -
1.संकेत -
(दो भाई घर में अकेले, फाइल में आतंकियों की जानकारी, आतंकियों का घर में घुसना, फ़ाइल ढूंढ़ना, कमरे में बंद, आतंकी गिरफ्तार)
चतुर समीर
एक दिन समीर और उसका छोटा भाई रमेश दोनों घर में अकेले थे। उनके पिताजी एक पुलिस अधिकारी थे। वे एक लाल रंग की फाइल घर लाए थे। उसमें सभी कुख्यात आतंकवादियों के बारे में जानकारी थी।
समीर जानता था कि पापा ने वह फाइल एक अलमारी में सुरक्षित रखी हुई है। समीर और करण खेल रहे थे कि तभी दो आतंकवादी उनके घर में घुस आए और बोले, “लाल फाइल कहाँ है?” समीर बड़ा चालाक था।
वह बोला, “शयनकक्ष की अलमारी में ऊपर रखी गई है। मैं वहाँ तक नहीं पहुँच सकता।” दोनों आतंकवादी लाल फाइल को हासिल करने के लिए उस कमरे में गए। जब वे अलमारी में फाइल ढूँढ रहे थे, तब समीर ने धीरे-से उस कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और पिताजी को भी फोन कर दिया जल्दी ही उसके पिताजी पुलिस लेकर वहाँ पहुँच गए।
दोनों आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस प्रकार अर्जुन ने अपनी चतुराई से दोनों आतंकवादियों को पकड़वा दिया। सभी ने उनकी खूब सराहना की।
बोध / सीख - सूझ-भूझ से किसी भी मुसीबत से निपटा जा सकता है।
2. संकेत -
(बारिश का आभाव, एक भेड़िया, चरागाह में भेड़ों का झुंड, सारा पानी भी पी जाना, भेड़ें वहाँ से भाग गई)
भेड़िए की योजना
एक बार पूरे देश में सूखा पड़ गया। बारिश के अभाव में सभी नदी-नाले सूख गए। कहीं पर भी अन्न का एक दाना नहीं उपजा। बहुत से जानवर भूख और प्यास से मर गए। पास ही के जंगल में एक भेड़िया रहता था।
उस दिन वह अत्यधिक भूखा था। भोजन न मिलने की वजह से वह बहुत दुबला हो गया था। एक दिन उसने जंगल के पास स्थित चरागाह में भेड़ों का झुंड देखा। चरवाहा उस समय वहाँ पर नहीं था।
वह अपनी भेड़ों के लिए पीने के पानी की बाल्टियाँ भी छोड़कर गया था। भेड़ों को देखकर भेड़िया खुश हो गया और सोचने लगा, ‘मैं इन सब भेड़ों को मारकर खा जाऊँगा और सारा पानी भी पी जाऊँगा।
फिर वह उनसे बोला, “दोस्तो, मैं अत्यधिक बीमार हूँ और चलने-फिरने में असमर्थ हूँ। क्या तुम में से कोई मुझे पीने के लिए थोड़ा पानी दे सकता है।” उसे देखकर भेड़ें सतर्क हो गई। तब उनमें से एक भेड़ बोली,“क्या तुम हमें बेवकूफ समझते हो? हम तुम्हारे पास तुम्हारा भोजन बनने के लिए हरगिज नहीं आएँगे।” इतना कहकर भेड़ें वहाँ से भाग गई। इस प्रकार भेड़ों की सतर्कता के कारण भेड़िए की योजना असफल हो गई और बेचारा भेड़िया बस हाथ मलता ही रह गया।
सीख - बुद्धि सबसे बड़ा धन है।
3.संकेत -
(आलसी लड़का, पैसों से भरा एक थैला, बिना प्रयास के ही इतने सारे पैसे, व्यर्थ खर्च, कार्य करने की कोई आवश्यकता ही नहीं, कद्र और उपयोगिता)
मेहनत की कमाई
सोनू एक आलसी लड़का था। वह अपना समय यूँ ही आवारागदी करने में व्यतीत करता था। इस कारण वह हमेशा कार्य करने से जी चुराता था। एक दिन उसे पैसों से भरा एक थैला मिला।
वह अपने भाग्य पर बहुत खुश हुआ। वह यह सोच-सोचकर खुश हो रहा था कि उसे मिल गए। सोनू ने कुछ पैसों से मिठाई खरीदी, कुछ पैसों से कपड़े व अन्य सामान खरीदा।
इस प्रकार उसने पैसों को व्यर्थ खर्च करना प्रारंभ कर दिया। तब उसकी माँ बोली, “बेटा, पैसा यूँ बर्बाद न करो। इस पैसे का उपयोग किसी व्यवसाय को शुरू करने में करो।” सोनू बोला, “माँ मेरे पास बहुत पैसा है।
इसलिए मुझे कार्य करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है।” धीरे-धीरे सोनू ने सारा पैसा खर्च कर दिया अब उसके पास एक फूटी कौड़ी भी नहीं थी। इस तरह वह एक बार फिर अपनी उसी स्थिति में आ गया। सोनू को एहसास हुआ कि यदि उसने वह धन परिश्रम से कमाया हुआ होता तो उसने अवश्य उसकी कद्र और उपयोगिता समझी होती।
शिक्षा - धन की उपयोगिता तभी समझ आती है जब वह मेहनत से कमाया हुआ हो।
4. संकेत -
(आश्रम, नटखट शिष्य, दीवार फाँदना, उसके गुरुजी यह बात जानते थे, दीवार पर सीढ़ी लगी दिखाई दी, नीचे उतरने में मदद, गुरुजी के प्रेमपूर्ण वचन, गलती के लिए क्षमा)
सबक
एक समय की बात है। एक आश्रम में रवि नाम का एक शिष्य रहता था। वद बहुत अधिक नटखट था। वह प्रत्येक रात आश्रम की दीवार फाँदकर बाहर जाता था परन्तु उसके बाहर जाने की बात कोई नहीं जानता था।
सुबह होने से पहले लौट आया। वह सोचता था कि उसके आश्रम से घूमने की बात कोई नहीं जानता लेकिन उसके गुरुजी यह बात जानते थे। वे रवि को रंगे हाथ पकड़ना चाहते थे। एक रात हमेशा की तरह रवि सीढ़ी पर चढ़ा और दीवार फॉदकर बाहर कूद गया।
उसके जाते ही गुरुजी जाग गए। तब उन्हें दीवार पर सीढ़ी लगी दिखाई दी। कुछ घंटे बाद रवि लौट आया और अंधेरे में दीवार पर चढ़ने की कोशिश करने लगा। उस वक्त उसके गुरुजी सीढ़ी के पास ही खड़े थे। उन्होंने रवि की नीचे उतरने में मदद की और बोले, “बेटा, रात में जब तुम बाहर जाते हो तो तुम्हें अपने साथ एक गर्म साल अवश्य रखनी चाहिए।
गुरुजी के प्रेमपूर्ण वचनों का रवि पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी गलती के लिए क्षमा माँगी। साथ ही उसने गुरु को ऐसी गलती दोबारा न करने का वचन भी दिया।
सीख - प्रेमपूर्ण वचनों का सबक जिंदगी भर याद रहता है।
5.संकेत -
(पालतु चिड़िय, ताजा पानी और दाना, चालाक बिल्ली डॉक्टर का वेश धारण कर वहाँ पहुँची, स्वास्थ्य परीक्षण, बिल्ली की चाल को तुरंत समझ गईं, दुश्मन बिल्ली, मायूस होकर बिल्ली वहाँ से चली गई)
चालाक चिड़िया
एक व्यक्ति ने अपने पालतु चिड़ियों के लिए एक बड़ा-सा पिंजरा बनाया उस पिंजरे के अंदर चिड़िया आराम से रह सकती थीं। वह व्यक्ति प्रतिदिन उन चिड़ियों को ताजा पानी और दाना देता।
एक दिन उस व्यक्ति की अनुपस्थिति में एक चालाक बिल्ली डॉक्टर का वेश धारण कर वहाँ पहुँची और बोली, “मेरे प्यारे दोस्तो पिंजरे का दरवाजा खोलो। मैं एक डॉक्टर हूँ और तुम सब के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए यहाँ आई हूँ।”
समझदार चिड़ियाएँ बिल्ली की चाल को तुरंत समझ गईं। वे उससे बोली, “तुम हमारी दुश्मन बिल्ली हो। हम तुम्हारे लिए दरवाजा हरगिज नहीं खोलेंगे। यहाँ से चली जाओ।” तब बिल्ली बोली,“नहीं, नहीं। मैं तो एक डॉक्टर हूँ। तुम मुझे गलत समझ रहे हो। मैं तुम्हें कोई हानि नहीं पहुँचाऊँगी। कृपया दरवाजा खोल दो।” लेकिन चिड़िया उसकी बातों में नहीं आई। उन्होंने उससे स्पष्ट रूप से मना कर दिया। आखिरकार मायूस होकर बिल्ली वहाँ से चली गई।
सीख - समझदारी किसी भी मुसीबत को टाल सकती है।