Wednesday, March 17, 2021

हिंदी

संज्ञा (Noun) की परिभाषा

✓संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी विशेष प्राणि, वस्तु, भाव और जीव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है। 

✓दूसरे शब्दों में- किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते है।


✓जैसे- प्राणियों के नाम- कुत्ता, तोता, बंदर, मोर, घोड़ा, बिल्ली

✓व्यक्ति के नाम :- रेखा, प्रल्हाद,  अनिल, किरण,  समीर आदि।


वस्तुओ के नाम- खुर्ची, पेन, किताब, आम, गाडी, अमरुद, रेडियो, किताब, सन्दूक, आदि।


स्थानों के नाम- विडूळ, उमरखेड, यवतमाळ, भूम, दिल्ली, नगर, भारत, मेरठ आदि


भावों के नाम - मीठास, खट्टा ,  वीरता, बुढ़ापा, मिठास, बचपन,  आदि


✓ संज्ञा के भेद


संज्ञा के पाँच भेद होते है-

(1) व्यक्तिवाचक (proper noun ) 

(2) जातिवाचक (common noun) 

(3) भाववाचक (abstract noun)

(4) समूहवाचक (collective noun)

(5) द्रव्यवाचक (material noun)


(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा:-

जिस शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। 


जैसे-

व्यक्ति का नाम - हेमा, लैला, करण, अमीत, सुरेश, रेहान, निखिल आदि।


वस्तु का नाम- कार, टाटा चाय, कुरान, गीता, रामायण आदि।


स्थान का नाम - गणेगाव, भूम, विडूल, औरंगाबाद, ताजमहल, कुतुबमीनार, दिल्ली आदि।


दिशाओं के नाम- पूर्व, दक्षिण, पश्र्चिम, उत्तर।


देशों के नाम- भारत, कॅनडा, ब्राझील, जापान, अमेरिका, पाकिस्तान, बर्मा, ।


राष्ट्रीय जातियों के नाम- भारतीय, बांग्लादेशी, श्रीलंकाई,  पाकिस्तानी, रूसी, ऑस्ट्रेलियाई, अमेरिकी, ।


समुद्रों के नाम- अरबी सागर, बंगाल का उपसागर, काला सागर, भूमध्य सागर, हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर।


नदियों के नाम- कृष्णा, भीमा, सिंधु, गोदावरी गंगा, ब्रह्मपुत्र, बोल्गा, कृष्णा, कावेरी, सिन्धु।


पर्वतों के नाम- माउंट एवरेस्ट, हिमालय, विन्ध्याचल, अलकनन्दा, कराकोरम।


नगरों, चौकों और सड़कों के नाम - बार्शी, कोल्हापुर, सोलापुर, वाराणसी, शिवाजी रोड, नेताजी मार्ग गया, चाँदनी चौक, हरिसन रोड, अशोक मार्ग।


पुस्तकों तथा समाचारपत्रों के नाम - फकिरा, रामचरितमानस, ऋग्वेद, धर्मयुग, सकाळ, लोकमत,  इण्डियन नेशन, आर्यावर्त।


ऐतिहासिक युद्धों और घटनाओं के नाम-  पानीपत की पहली लड़ाई, सिपाही-विद्रोह, अक्तूबर-क्रान्ति।


दिनों, महीनों के नाम - सोमवार, मंगलवार, बुधवार ,  मार्च, एप्रिल, मई, अक्तूबर, जुलाई।


त्योहारों, उत्सवों के नाम - होली, दीवाली, रक्षाबन्धन, विजयादशमी।

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उदा.


१. सोहम मेरा मित्र है।

२. मेरा भारत महान है।

३. मैं पुणे में रहता हूं ।

४. मेरा मकान यहां से दक्षिण में है।

५. वह अमेरिकी व्यक्ति है।

६. अरबी सागर बहुत गहरा है।

७. सिंधु नदी पाकिस्तान से होकर आती है।

८. माउंट एवरेस्ट नेपाल में स्थित है।

९. हेमंत सोलापुर का रहने वाला है।

१०. आप शिवाजी नगर से होकर आना ।

११. आप नेताजी मार्ग पर आ जाना।

१२. कल मैंने रामचरितमानस पढ़ा ।

१३. आज मैंने इंडियन नेशन पढ़ा ।

१४. हमें जून में जाना है।

१५. मैं सोमवार को नहीं आउंगी।

१६. दिपावली हमारा बड़ा त्योहार है।


(2) जातिवाचक संज्ञा :- 

लडका , लड़की, राष्ट्र, बच्चा, जानवर, नदी,मोटर साइकिल, कार, टीवी, मोबाइल  अध्यापक, बाजार, गली, पहाड़, खिड़की, स्कूटर आदि शब्द एक ही प्रकार प्राणी, वस्तु और स्थान का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये 'जातिवाचक संज्ञा' हैं।


इस प्रकार-


जिस शब्द से किसी जाति के सभी प्राणियों या प्रदार्थो का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है।


जैसे- लड़का, लड़की,  पशु-पक्षयों, वस्तु, नदी, मनुष्य, पहाड़ आदि।


'लड़का' से  सभी 'लड़कों का बोध होता है।


'पशु-पक्षयों' से गाय, घोड़ा, कुत्ता आदि सभी जाति का बोध होता है।


'वस्तु' से मकान कुर्सी, पुस्तक, कलम आदि का बोध होता है।


'नदी' से  सभी नदियों का बोध होता है।


'मनुष्य' कहने से संसार की मनुष्य-जाति का बोध होता है।


'पहाड़' कहने से संसार के सभी पहाड़ों का बोध होता हैं।


(3)भाववाचक संज्ञा :-

थकान, मिठास, बुढ़ापा, गरीबी, आजादी, हँसी, चढ़ाई, साहस, वीरता आदि शब्द-भाव, गुण, अवस्था तथा क्रिया के व्यापार का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये 'भाववाचक संज्ञाएँ' हैं।


इस प्रकार-


जिन शब्दों से किसी प्राणी या पदार्थ के गुण, भाव, स्वभाव या अवस्था का बोध होता है, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं। 

जैसे- उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि । इन उदाहरणों में 'उत्साह'से मन का भाव है। 'ईमानदारी' से गुण का बोध होता है। 'बचपन' जीवन की एक अवस्था या दशा को बताता है। अतः उत्साह, ईमानदारी, बचपन, आदि शब्द भाववाचक संज्ञाए हैं।


हर पदार्थ का धर्म होता है। पानी में शीतलता, आग में गर्मी, मनुष्य में देवत्व और पशुत्व इत्यादि का होना आवश्यक है। पदार्थ का गुण या धर्म पदार्थ से अलग नहीं रह सकता। घोड़ा है, तो उसमे बल है, वेग है और आकार भी है। व्यक्तिवाचक संज्ञा की तरह भाववाचक संज्ञा से भी किसी एक ही भाव का बोध होता है। 'धर्म, गुण, अर्थ' और 'भाव' प्रायः पर्यायवाची शब्द हैं। इस संज्ञा का अनुभव हमारी इन्द्रियों को होता है और प्रायः इसका बहुवचन नहीं होता।


(4)समूहवाचक संज्ञा :- 

जिस संज्ञा शब्द से वस्तुअों के समूह या समुदाय का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते है।

जैसे- व्यक्तियों का समूह- भीड़, जनता, सभा, कक्षा; वस्तुओं का समूह- गुच्छा, कुंज, मण्डल, घौद।


(5)द्रव्यवाचक संज्ञा :-

जिस संज्ञा से नाप-तौलवाली वस्तु का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।

दूसरे शब्दों में- जिन संज्ञा शब्दों से किसी धातु, द्रव या पदार्थ का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है। 

जैसे- ताम्बा, पीतल, चावल, घी, तेल, सोना, लोहा आदि।